हर दिन......थोड़ा थोड़ा
हर दिन बढती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपनी गलतियों से !
हर दिन कुछ नया सीखती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपने छोटो और बड़ो से !
हर दिन हँसती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपनी नादानियों पे !
हर दिन रोती भी हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपने नाकामयाबियों पे !
हर दिन यह सोचती हूँ मैं,
थोड़ा ज्यादा
क्या यही ज़िंदगी है ?
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Good one!