हर दिन......थोड़ा थोड़ा

हर दिन बढती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपनी गलतियों से !

हर दिन कुछ नया सीखती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपने छोटो और बड़ो से !

हर दिन हँसती तो हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपनी नादानियों पे !

हर दिन रोती भी हूँ मैं,
थोड़ा थोड़ा
अपने नाकामयाबियों पे !

हर दिन यह सोचती हूँ मैं,
थोड़ा ज्यादा
क्या यही ज़िंदगी है ?


Comments

The Wanderer said…
har din likhti hu main thodha todha :)

Good one!
Jyoti Naagar said…
love these lines :)
Siddhi Agrawal said…
thnks nishi n jyoti :)

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