अद्भुत यन्त्र
मैं गई अपने मष्तिष्क में , वहाँ मैंने एक यन्त्र चलते देखा बड़ी तीव्र गति थी उस यन्त्र की , रुकने का नाम ही नही लेता वहाँ बैठे बैठे , खो गई मैं ख्यालो में, इश्वर के इस रचनात्मक कार्य में समझ न सकी इसकी तीव्रता का राज़, सोचती रह गई , क्यों है यह हमारा ताज़ अपनी मस्ती में चलता यह,कभी इठलाता कभी इतराता , मानो समझता हो अपने आपको यह विश्व का राजा क्या है इसका अनोखा राज़ , क्यों हुकुम चलाता है यह बन सरताज समझ सकी ना मैं इसका राज़ बड़ा अद्भुत है इसका काज p.s- Inspiration from manju di