अद्भुत यन्त्र
मैं गई अपने मष्तिष्क में ,
वहाँ मैंने एक यन्त्र चलते देखा
बड़ी तीव्र गति थी उस यन्त्र की ,
रुकने का नाम ही नही लेता
वहाँ बैठे बैठे , खो गई मैं ख्यालो में,
इश्वर के इस रचनात्मक कार्य में
समझ न सकी इसकी तीव्रता का राज़,
सोचती रह गई , क्यों है यह हमारा ताज़
अपनी मस्ती में चलता यह,कभी इठलाता कभी इतराता ,
मानो समझता हो अपने आपको यह विश्व का राजा
क्या है इसका अनोखा राज़ ,
क्यों हुकुम चलाता है यह बन सरताज
समझ सकी ना मैं इसका राज़
बड़ा अद्भुत है इसका काज
p.s- Inspiration from manju di
वहाँ मैंने एक यन्त्र चलते देखा
बड़ी तीव्र गति थी उस यन्त्र की ,
रुकने का नाम ही नही लेता
वहाँ बैठे बैठे , खो गई मैं ख्यालो में,
इश्वर के इस रचनात्मक कार्य में
समझ न सकी इसकी तीव्रता का राज़,
सोचती रह गई , क्यों है यह हमारा ताज़
अपनी मस्ती में चलता यह,कभी इठलाता कभी इतराता ,
मानो समझता हो अपने आपको यह विश्व का राजा
क्या है इसका अनोखा राज़ ,
क्यों हुकुम चलाता है यह बन सरताज
समझ सकी ना मैं इसका राज़
बड़ा अद्भुत है इसका काज
p.s- Inspiration from manju di
Comments
anyway.. reading a hindi poem after a long time.. and that too a good one..
Keep writing :)
I must say it wz freshening....
Keep up the good work !
Well I think you have written the poem from the same perspective that I am thinking."यन्त्र" represents our 'man'(in hindi) and its speed signifies its wandering and its 'taj' signifies our subservience to it all the times. Well the motive of our life is to stop this "यन्त्र" and when it's stopped, you are done. But the path is very long and difficult. All the best
although m d same,but apne mastisk ko apne se alag rakh ke to dekh-a gud way to judge it.apne aap ko jugde karna mushkil hota hai
@mohit:
ya its worlds fastest,gati ko control mein lana mushkil hai.
@ankit:
publish urs too,preserve kiske liye kiya hai?
@manasi
thanks dear...
nah i cud see only its speed nothing else.still d beauty needs to be realized
@cj:
yaar how minutely u observed it.sahi kaha ... u cud judge wht i meant
@saumit:
hope isi tarah patli ho jaun..he he